

बीकानेर@जागरूक जनता ।मित्र यह एक ऐसा रिश्ता है जो खून का रिश्ता ना होते हुए भी सबके लिए बहुत खास होता है। वैसे मित्रता के लिए कोई दिवस नहीं होता यह चिरस्थाई है लेकिन जिस तरह से स्थान विशेष का महत्व होता है उसी तरह दिन विशेष का भी महत्व होता है। इस तरह पुस्तक एक ज्ञान की कुंजी है उसी तरह एक सच्चा मित्र पूरा पुस्तकालय कहलाया जाता है। व्यक्ति को अपने जन्म के बाद से ही रिश्ते प्राप्त हो जाते हैं लेकिन मित्रता एक ऐसी चीज है जो उसके स्वभाव अनुसार उसके व्यवहार अनुसार प्राप्त होती है जिस तरह व्यक्ति होता है उसी तरह के उसे मित्र प्राप्त होते हैं। मित्रता किसी भी प्रकार का उच नीच रंग रूप नहीं देखती बस देखती है तो सम व्यवहार।


मित्रता पर रहीम दास जी का एक दोहा है:- “कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। बिपति-कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत।”
अर्थ अर्थ जब व्यक्ति के पास धन संपत्ति वैभव होता है तब उसके अनेक सगे संबंधी मित्र बन जाते हैं लेकिन विपत्ति के समय जो आपके साथ खड़ा है वही आपका सच्चा मित्र है।
इस तरह जीवन में एक सच्चे मित्र का बहुत ही महत्व होता है। यदि आपके पास आपकी जीवन रूपी तिजोरी में एक सच्चा मित्र है तो आप इस संसार के सबसे धनी व्यक्ति हैं।




