


दुनिया साल-दर-साल एक अंक बढ़ाकर नए वर्ष में प्रवेश करती है। इसे कोई कहता है कि हमारे जीवन का एक वर्ष समाप्त हो गया और मैं कहता हूं कि हमारे जीवन में एक वर्ष और जुड़ गया। यानि कोई 50 वर्ष का है तो वह 51 वर्ष का हो गया और कोई कहता है उम्र अगर 100 वर्ष है तो एक घटकर 99 रह गई। अर्थात गिलास आधा खाली है या आधा भरा है। मतलब तो दोनों का एक ही है। खैर यह तो हुई गणना वाली बात। मगर सन् 2020 ने जीवन में बहुत सी बातें नई-पुरानी करने के साथ ही दुनिया की अर्थ व्यवस्था को दशकों पीछे धकेल दी। हमारे देश में तो 2020 शाहीन बाग आंदोलन से शुरू होकर सिंधु बार्डर पर जारी आंदोलन में ही गुजरता दिखाई दे रहा है। इस दौरान बहुत कुछ बदलाव भी देखने को मिले हैं। दुनिया को झकझोर देने वाला यह वर्ष सबको बेबस कर गया। हालांकि दुनिया हार मानने वाली नहीं है, मगर जो लोग कहते थे कि ईश्वर नाम की कोई चीज नहीं होती है वे भी शायद ये सोच रहे होंगे कि ईश्वर है तभी तो एक झटके से पूरी दुनिया ठहर गई। और अभी भी ठहरी सी ही नजर आ रही है। आखिर ईश्वर की सत्ता को कौन नकार सकता है। हालांकि कोरोना महामारी के चलते दुनिया में बहुतेरे बदलाव भी हुए हैं और हो रहे हैं। सोशल डिस्टेसिंग का तो सच में ही बहुत प्रभाव पड़ा है। लोगों का एक-दूसरे से मिलना जुलना भी लगभग बंद सा ही हो गया है। जो कुछ भी हो रहा है वह ऑन लाइन हो रहा है या कहें कि नाम मात्र का ही मैनुअल संपर्क रह गया है। लोगों के जहन में कोरोना काल के शुरुआती दिनों की याद कैसे मिट पाएगी। यातायात बंद हो जाने के चलते जो लोग सरकार के लाख समझाने के बावजूद ‘जहां थे वहां नहीं रुक सकेÓ तथा अपने सामान और छोटे-छोटे बच्चों के साथ अपने घरों की ओर पैदल ही दौड़े जा रहे थे। कितने ही लोग रास्ते में दम तोड़ गए। आखिर समय सब ठीक भी कर देता है मगर एक बार तो सब कुछ अस्त-व्यस्त हो ही गया। हालांकि कोरोना महामारी ने अभी तक पीछा नहीं छोड़ा है। कोरोना महामारी के नए-नए संस्करण सामने आ रहे हैं। महामारी से बचाव के उपाय करते-करते रोजाना वैक्सीन की उम्मीद लगाए दुनिया जी रही है। इस दौरान सरकारी सहायता से भी लोगों को काफी राहत मिली। अब 2020 को विदाई देकर 2021 का स्वागत करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि आने वाला वर्ष कुछ इस तरह आए कि पिछले वर्ष में भुगती हुई कड़वी यादों को भुला दे। अलविदा 2020!
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