मनुष्य का स्वभाव ही ऐसा है कि स्वयं के अनुसार कुछ नहीं हुआ या बात नहीं मानी गई तो उनमें मतभेद उभरने लगते हैं। फिर शुरू हो जाता है हर बात पर किच-किच होना। यही किच-किच आगे चलकर मतभेद से होते हुए मनभेद में बदल जाती है और फिर कभी नहीं बदलने वाला माहौल बन जाता है। शिव दयाल मिश्रा मनुष्य का स्वभाव ही ऐसा है कि स्वयं के अनुसार कुछ नहीं हुआ या बात नहीं मानी गई तो उनमें मतभेद उभरने लगते हैं। फिर शुरू हो जाता है हर बात पर किच-किच होना। यही किच-किच आगे चलकर मतभेद से होते हुए मनभेद में बदल जाती है और फिर कभी नहीं बदलने वाला माहौल बन जाता है। ये बात अक्सर परिवार के सदस्यों में शुरू होती है और इन्हीं बातों के पीछे घरों में अलगाव उत्पन्न हो जाता है। अगर […]